NANHI KALAM नन्ही कलम: => कहीं ज़ुल्मो-सितम सहने के हम आदी न हो जायें: अशोक रावत हमारी चेतना पर आँधियाँ हाबी न हो जायें, कहीं ज़ुल्मो-सितम सहने के हम आदी न हो जायें।          कहीं ऐसा न हो जाये भुला ही दे...